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नवरात्री -दूसरी रात – माँ ब्रह्मचारिणी

आज की काव्यांजलि माँ ब्रह्मचारिणी को अर्पित |

माँ ब्रह्मचारिणी

धैर्य की ऐसी मिसाल, 

जो प्रेम का अभिप्राय बदल दे, 

हज़ारों सालों के जटिल तप से, 

योगी शिव को भी आकर्षित कर ले,

 महलों की राजकुमारी जब,

 सब कुछ त्याग कर, 

एक ही जाप करने लगे, 

हर विपदा में अडिग खड़ी, 

अपने स्वामी शिव सा जीवन व्यतीत करे, 

तो क्यूँ ना महादेव भी, 

ऐसी भक्ति को वरदान प्रदान करे, 

ब्रह्मचारिणी उस धैर्य की देवी को, 

अर्धांगिनी बनाकर अपनी,  

प्रेम के सत्य तप का सम्मान करे |

कमंडल और जाप माला लिए, 

श्वेत कमल धारण किए,

 नारंगी अग्नि का तेज लिए, 

खुद इस प्रेम ताप से निखरकर, 

शिव को भी अपने ऊष्ण से, 

प्रज्वलित जो कर दे, 

ऐसी माँ ब्रह्मचारिणी को, 

मेरा शत शत नमन |

नवरात्री : ब्रह्मचारिणी : धैर्य

1 thought on “नवरात्री -दूसरी रात – माँ ब्रह्मचारिणी”

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