
जब जब बढ़ा असुरों का प्रकोप,
और देव गण में हाहाकार हुई,
पहुँचे विनती करने महादेव से,
अपनी रक्षा की गुहार लगाने,
तब शिव ने पार्वती को भेजा,
असुरों का संहार करने,
रौद्र रूप धारण करके,
क्रोध में सुलगे नेत्र,
लहू तृष्णा भरी जिव्हा लिए,
बेलगाम काली जटाएँ,
हाथ में खंड, तलवार लिए,
गहरा श्याम रंग,
महाकाया अग्नि आभा लिए,
वद किया उस देवी ने,
रक्त बीज और शुम्भ निशुम्भ का,
किया विनाश दानवीय ऊर्जा का,
जन कल्याण के लिए,
दी सीख भक्तों को,
सदैव निर्भीक रहने की,
कैसी भी चुनौती आए,
जब दाँव लगी हो गरिमा,
और सच्चाई पर वार पड़े,
तब तब उठा लो शस्त्र अस्त्र,
बुराई के संहार के लिए |
ऐसी अभया देवी,
माँ कालरात्रि को,
मेरा शत शत नमन |
नवरात्री : निर्भया : कालरात्रि