ये तो वो ही जाने जिन्हें इश्क़ हुआ है,
की फासलों का कुछ अलग ही मज़ा है,
दिन और रात बस यही एक नशा है,
बस ख्यालों में एहसास कर पाना लगती एक मीठी सज़ा है,
दिल की गहराईयों में जो दर्द छुपा है,
ये इश्क़ ही उस मर्ज़ की दवा है,
इंतेज़ार उस मिलन के लम्हे का लम्बा ही सही,
मगर अब किस्मत पे यकीन होने लगा है,
चाहत अगर सच्ची हो तो वो रब भी सुनता है,
दुआओँ और इबादत का शायद येही नतीजा है,
इतनी खुशनुमा कभी ये आँखें ना थी,
किसीकी बेकरारी में इस कदर उलझी ये साँसें ना थी l
दीदार जिस दिन होगा उस दिलनशीं का,
ना जाना कैसे संभालेंगे खुदको,
सिमट जाएंगे खुद में ही शर्म से,
या खुदसे लिपटा हुआ पाएंगे उसको l
इश्क़ : जज़्बात : जीवन