
ये जीवन एक नीर सा,
बहता रहता है हर पल,
कभी शाँत, तो कभी उग्र,
कभी असन्तुलित, तो कभी समतल,
कभी शीतल, तो कभी ऊष्ण |
आज,
इस नीर को हथेली में भरकर,
प्रेम का रूप दिया,
और कुछ इस कदर,
मीत पर इसकी बौछार हुई |
कुछ बूँदें समावेश की,
खुद में तुझको विलीन करके,
आलिंगन आत्माओं का हुआ |
बूँदें हर्ष की, उल्लास की,
बतलाती,
प्रेम को महसूस करना ही,
उत्सव है जीवन का |
बरसी बूँदें करुणा की,
शालीन और कोमल एहसास लिए,
दर्शाती मधुरता प्रीत की |
शेष बूँदें संवेदना की,
भेंठ के रूप में,
मीत को अर्पित करते हुए,
समर्पण और त्याग,
जो ज़रूरी है,
प्रेम ही नहीं,
इस नीर के सदा बहते रहने के लिए |
दर्शन : पवित्र : प्रेम
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
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धन्यवाद 😊🙏🏻
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