दर्शन, poetry, Soulful

आलिंगन और अश्क़

Image source : internet

जब सागर सा गहरा ये दर्द,

भीतर रहता हो अदृश्य,

घुटता हुआ हर स्वाश में,

रुकता ठहरता मगर फिर भी अस्थिर सा,

बेचैन और सा बहने के लिए,

करता इंतज़ार सदियों तक,

थोड़ा थोड़ा यूँ खिसकता,

जैसे चलना भी गुनाह हो कोई,

इस कदर बढ़ती रहती उसकी कसक,

प्रबल और प्रचण्ड बन जाती,

वक़्त के साथ |

जब मिलता अवसर,

एक लम्बे अंतराल के बाद,

वो बहती नहीं अब,

बस फूट जाती,

किसी तूफ़ान की तरह |

उसे कर पाता नियंत्रित,

सिर्फ़ आलिंगन,

कोमल स्पर्श और सौहार्द भरा,

फिर बह पाता ये दर्द,

अश्कों की धारा में,

उस वक़्त तक,

जहाँ सुकून भर जाए फिर से,

हर स्वाश में |

आलिंगन : अश्क़ : दर्द

Leave a Reply

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Twitter picture

You are commenting using your Twitter account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s