दर्शन, inspiration, philosophy, poetry

चौखट

चौखट
परते उतरती हर कोने की,

साथ में गिरते उनके झर झर,

हल्दी कुमकुम के सूखे कण,

रोशन करता इन टूटी दरारों को,

एक छोटा सा मिट्टी का दिया,

सजता हर सुबह ये,

पीले नारंगी गेंदों की माला से,

और बँधती आम्र पत्रों की डोर,

इसके दोनों सिरों से,

धुलता ये गेरुआ फर्श भी,

बनती रोज़ इसके सामने,

रंगोली चावल की,

गुज़रते इससे दिन में कई बार,

घर के बूढ़े बच्चे सभी,

कोई खिलखिलाता,

कोई मुस्कुराता,

कोई माथे पे शिकन लिए,

कोई दिल में बोझ,

कोई पुरानी यादें लिए,

कोई अधूरी इच्छायें लिए,

कोई दर्द छिपाये हुए,

कोई क्रोध दिखाते हुए |

देखी है इसने,

ख़ुशी और नई ज़िन्दगी,

किलकारियाँ शिशु की,

खनकती पायल चूड़ियाँ नई बहु की,

और देखे हैं इसने,

कई दुख भरे पल भी ,

सदगति प्राप्त होते बुज़ुर्ग,

विदाई होती बिटिया भी |

सब कुछ समेटे है ये,

कई सालों से,बनके

एक मज़बूत प्रतिक,

जीवन का,

और उसके पल पल बदलते,

हर रूप का |

चौखट : जीवन : दर्शन

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