समय की गाड़ी चलती रही,
पलों के कई डब्बे लिए,
मुलाक़ातों के स्टेशन आते रहे,
सफ़र ये जीवन का,
यूँही बस चलता रहा |
अब गाड़ी तो चली गई,
डब्बो को अपने संग लिए,
स्टेशन भी अब छूट गए,
बस अब यादों की ये पथरियाँ बाकी हैं |
समय की गाड़ी चलती रही,
पलों के कई डब्बे लिए,
मुलाक़ातों के स्टेशन आते रहे,
सफ़र ये जीवन का,
यूँही बस चलता रहा |
अब गाड़ी तो चली गई,
डब्बो को अपने संग लिए,
स्टेशन भी अब छूट गए,
बस अब यादों की ये पथरियाँ बाकी हैं |