अधूरा
किसीको घर ना मिला,
किसीको घरवाले,
कोई माँ की छाया के बिना पका,
तो कोई पिता की डाँट बिना,
कोई बेऔलाद रहा,
कोई औलाद खोता गया,
कहींभाई को बहन की आस रही,
तो कहीँ बहन को भाई की,
कोई प्रेमी ढूँढ़ता रहा,
तो कोई बदलता,
कोई अपने कद को रोया,
तो कोई अपने रंग को,
किसीको बेदाग़ रूप की चाह रही,
तो किसीको दमकते देह की,
कोई शिक्षा से वंचित रहा,
तो कोई कला से,
कोई दो रोटी के लिए तरसा,
तो कोई छप्पन भोग के,
किसीको शौहरत की प्यास रही,
तो किसीको दौलत की,
कोई जिस्मों में उलझा रहा,
तो कोई नशे में,
कोई सावन में भी सूखा रहा,
तो कोई धूप में भी अँधा,
कोई बीते वक़्त को रोता रहा,
तो कोई आने वाले समय को,
कोई ज़माने के लिए जीता गया,
तो कोई दिखावे के लिए,
हर एक इंसान अधूरा रहा,
कुछ हो ना हो,
कोई हो ना हो,
ये अधूरापन यूँही रहा,
इस अधूरेपान को कभी ना भर पाया कोई,
और यूँही ज़िन्दगी बीतती गई हर किसीकी,
अधूरी सी,
अधूरी सी,
अधूरी सी |
#tulipbrook #hindinama #अधूरा #ज़िन्दगी