philosophy

कटपुतली

कटपुतली

रंग हैं,
रूप भी,
आभूषण है,
वस्त्र भी,
मगर
बेज़ुबान हैँ,
बेजान भी |
आओ इनमें प्राण भर दें,
अपनी अपनी आवाज़ देदे,
चुन लो किरदार कोई,
हो जाओ तैयार सभी,
आज साजेगा रंगमच,
और होगा एक नाटक,
अभिनय और रास का,
होगा रमणीय खेल,
तारों को बाँधो उँगलियों में,
और जोड़ दो इन पुतलो से,
नचाओ इन्हें फिर,
अपनी ही ताल पर |
देदो इन्हें आवाज़ अपनी,
जो मन चाहे व्यक्त करो,
हर किरदार में छोड़ दो,
अपने अस्तित्व का अंश कहीँ |

रंगमंच : खेल : कटपुतली

poetry, Souful, Soulful

एक दिल की आवाज़

हम सबका दिल कुछ ना कुछ कहना चाहता है, मगर हम उसे अनसुना कर देते हैं | और फिर तड़पते रहते हैं की क्या है जो अन्दर से बेचैन कर रहा है | आज मेरे दिल की आवाज़ कुछ यूँ कह रही है |

तुम क्या जानो,

इंतज़ार का समर्पण,
और एतबार की कसक,
यूँही गुज़रते ये दिन,
गुमसुम सी ये साँसें
रुकी रुकी सी हवा जैसे,
चाहती है बहना,
मदमस्त होकर,
तुम्हारे संग उम्र भर |

दिल : आवाज़ : जज़्बात