
कटपुतली
रंग हैं,
रूप भी,
आभूषण है,
वस्त्र भी,
मगर
बेज़ुबान हैँ,
बेजान भी |
आओ इनमें प्राण भर दें,
अपनी अपनी आवाज़ देदे,
चुन लो किरदार कोई,
हो जाओ तैयार सभी,
आज साजेगा रंगमच,
और होगा एक नाटक,
अभिनय और रास का,
होगा रमणीय खेल,
तारों को बाँधो उँगलियों में,
और जोड़ दो इन पुतलो से,
नचाओ इन्हें फिर,
अपनी ही ताल पर |
देदो इन्हें आवाज़ अपनी,
जो मन चाहे व्यक्त करो,
हर किरदार में छोड़ दो,
अपने अस्तित्व का अंश कहीँ |
रंगमंच : खेल : कटपुतली