
हम कमज़ोर क्यूँ होते हैं?
क्या इसकी वजह ये है कि हम लड़ नहीं पाते, या फिर किसी भी बुरी चीज़ से उभर नहीं पाते?
इस बारे में सोचना अनिवार्य है, क्यूँकि रोज़ खुदको टूटता हुआ देखना और फिर उन टूटे हिस्सों की मरम्मत करना, इसी में सारी ऊर्जा लग जाती है | और रोज़ निराशा बैठने लग जाती है मन में |
इससे तो बेहतर होगा कि टूटने ना दे खुदको | इसके लिए काफ़ी काम करना होगा अपनी नींव पर | वो कमज़ोर हो गई है | उसे ठीक करना है तो सोच के साथ अपनी जीवन शैली में भी बदलाव लाना ज़रूरी है | इससे धीरे धीरे खुद में आत्म विश्वास की वृद्धि होगी, और अपनी ज़िन्दगी से प्यार करना शुरू करें | किसी और के लिए हो ना हो, ये ज़िन्दगी खुदके लिए तो कीमती है |
ये बात हमेशा याद रखें | खुद से प्यार करें, रोज़ करें, और बेहद खुश होना सीखें, खुद को आईने में देखकर | अपने व्यक्तित्व और अस्तित्व को मान दें | मज़बूत बनें, ये एक अभ्यास है, इसे रोज़ करें | फिर देखें कैसे ज़िन्दगी खूबसूरत हो जाती है |
जीवन : मोती : अस्तित्व