दर्शन, philosophy, Spiritual

जल

ग्रीष्म ऋतु की उष्ण से,

माटी की ठंडक तक,

एक सम्पूर्ण यात्रा है,

इस जल की |

तप की अवधि,

और शीत का समय,

दोनों ही अनिवार्य है,

जल के अस्तित्व की,

सार्थकता और प्रभुता को,

स्थापित करने के लिए,

जन्म मृत्यु के,

इस अनवरत चक्र में |

प्रदीप्ति

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दर्शन, philosophy, poetry

पत्थर

पत्थर में उतकीर्ण कहानियाँ,
और तरशे हुए ये स्तम्भ,
भिन्न भिन्न आकार की ये कड़ियाँ,
जैसे प्रणाली हो जीवन शैली की,
घटित हुई हो जो,
भूत काल में,
ले जाती है हमें,
उस वक़्त में,
और बतलाती है मौन होकर भी,
दास्तान –
सभ्यता की,
संस्कृति की,
धर्म की,
कर्म की,
सत्य की,
मिथ्या की,
विजय की,
पराजय की,
व्यक्ति की,
समाज की,
उत्थान की,
पतन की,
उल्हास की,
ग्लानि की,
काल चक्र के सार की,
जो परिवर्तनशील होकर भी,
दोहराता है वही क्रम,
अलग अलग कहानियों के रूप में |

इतिहास : कहानी : पत्थर