शायरी, inspiration, philosophy

जीवन

© tulip_brook

एक उम्र बीत गई,

एक वक़्त गुज़र गया,

नीव गहरी होती गई,

अस्तित्व उन्नत होता गया,

जितना भी प्राप्त किया,

धीरे धीरे सब खोता गया,

बस ये अनुभव शेष रह गया-

” केवल उन्नत होना ही जीवन नहीं,

परिवर्तित होना भी है,

उत्थान होगा जहाँ भी,

वहाँ पतन भी स्पष्ट है,

अंकुरित होता है जो बीज अंधकार में,

वो रोशनी में ही पनपता है,

जीता है वो हर मौसम,

टहनी, पत्ती, पुष्प, फल, फूल बनकर,

मगर

एक एक करके सब त्यागता चला जाता है,

और फिर देखता है जब जब वो,

उस बीते वक़्त को,

तो पाता है एक ही सत्य,

कि फिर उस अंधकार में समा जाना है |

रोशनी जीवन है,

मगर अंधकार जीवन का स्रोत |

और ये सोचता हुआ,

विलीन हो जाता है वहीँ,

जहाँ से उसका उद्गम हुआ था | “

जीवन : अंधकार : रोशनी