

तरु के देह पर,
ये अनगिनत व्रण,
और छोटी बड़ी गाँठेँ,
उजागर करती हैं,
एक लम्बी कहानी,
अस्तित्व की |
हर एक ग्रंथि,
बयान करती हैं,
इसके संघर्ष की दास्तान |
ना जाने कितने मौसम देखे,
ना जाने कितने पल जिए,
अगर अवलोकन करें,
धैर्य के साथ,
इसके हर सूक्ष्म भाग का,
तो नज़र आएगी स्पष्ट रूप में,
हर एक अनुभूति,
इसके जराजीर्ण वजूद की |
प्रदीप्ति