शायरी, inspiration, philosophy

जीवन

© tulip_brook

एक उम्र बीत गई,

एक वक़्त गुज़र गया,

नीव गहरी होती गई,

अस्तित्व उन्नत होता गया,

जितना भी प्राप्त किया,

धीरे धीरे सब खोता गया,

बस ये अनुभव शेष रह गया-

” केवल उन्नत होना ही जीवन नहीं,

परिवर्तित होना भी है,

उत्थान होगा जहाँ भी,

वहाँ पतन भी स्पष्ट है,

अंकुरित होता है जो बीज अंधकार में,

वो रोशनी में ही पनपता है,

जीता है वो हर मौसम,

टहनी, पत्ती, पुष्प, फल, फूल बनकर,

मगर

एक एक करके सब त्यागता चला जाता है,

और फिर देखता है जब जब वो,

उस बीते वक़्त को,

तो पाता है एक ही सत्य,

कि फिर उस अंधकार में समा जाना है |

रोशनी जीवन है,

मगर अंधकार जीवन का स्रोत |

और ये सोचता हुआ,

विलीन हो जाता है वहीँ,

जहाँ से उसका उद्गम हुआ था | “

जीवन : अंधकार : रोशनी

दर्शन, inspiration

इतिहास

Source : Aakash Veer Singh Photography

सब कुछ ठहरा ठहरा सा है यहाँ,

इतिहास चुप चुप सा नज़र आता है,

ये स्तम्भों का समूह,


बयाँ कर रहा है कोई दास्तान,


फ़तेह की और पतन की भी,

जीवन की विडम्बना है यह,
और एक स्पष्ट सत्य भी,

कि ठहराव में भी हलचल हो सकती है,

बंजर में भी जीने की हसरत हो सकती है,

एक नन्हा सा बच्चा यूँही,

बेफ़िक्र और मदमस्त,


दौड़ता इस इतिहास के धरातल पर,


छोड़के निशान अपने कोमल अस्तित्व की,

चला जाता है गुमनाम सा |

एक बलवान नौजवान भी,

उठाता अपने कदम इस कदर शान से,

जैसे जी रहा हो विजय की गाथा कोई,

और एक लड़खड़ता वृद्ध पुरुष,

ठहर जाता वहीं इस चिंतन में,

जैसे खो दिया हो बहुत कुछ,

थोड़ा सा पाने की लालसा में |


वर्त्तमान भी एक दिन इतिहास बनेगा,

जो छूट गया,

जो टूट गया,

वो भी एक दिन,


एक मनमोहक रास बनेगा |

इतिहास : एहसास : अस्तित्व