inspiration

मिट्टी

गीली मिट्टी –

सही नमी,सही कण,

का आकार लिए,

घूर्णन की क्रिया से गुज़री,

एक निश्चित गति में,

हथेलियों का सहज संतुलन,

लगातार यूँ ही बनाकर,

सब्र और एकाग्रता के साथ,

भूमि की विशाल ओक तैयार की,

जिस्में जमाया हर कच्ची वस्तु को,

मिला सहारा भूमि का,

सहारा एक दूसरे के,

ताप की अग्नि से गुजरने के लिए,

कई घंटों तक यूँ ही |

कुछ इंतज़ार के झुलसते पल,

लाये एक सौगात नई-

अपना रंग बदलते हुए,

लालिमा निखार की,

ताप से निकले प्रचंड स्वरुप की,

बनने को तैयार,

घड़ा ठन्डे जल का,

कुल्हड़ गर्म चाय का,

तवा नर्म रोटी का,

कढ़ाई कड़क मसालों की,

हांडी में आने लगी,

मीठे चावल की महक,

थाल पर सजने लगी,

पकवानों की जोड़ी,

दाल, तरकारी,

रोटी, चावल,

घी, और गुड़,

अचार, पापड़,

चटनी,और छास,

मिसरी की डली,

पानी में घुली,

मिट्टी का स्वाद रमा,

भोजन के हर कण में,

और महक इस धरती की,

ज़िंदा रही हर निवाले में |

दर्शन, inspiration, philosophy, poetry

वक़्त

वक़्त पानी सा बहता गया,
जीवन की नाव चलती गयी,
कई छोर छूटते गए,
किनारे भी धुंदले होते गए,
और अब ये मंज़र है,
कि गहराई रास आने लगी है,
अब ना किसी छोर की तमन्ना,
ना ही किसी किनारे की आस बची है |