philosophy, poetry, Soulful

वक़्त

वक़्त,
एक कलम की तरह,
ज़िन्दगी की तख़्ता-ए-स्याही पर,
लिखता है हिब-ए-मरासिम के फ़साने,
लेकिन,
कुछ आसान सा नहीं नज़र आता,
इस कलम का इज़हार-ए-इश्क़,
और ये जज़्बातों की लकीरें,
कुछ सिमटी सी नज़र आती हैं,
क्योंकि रुख बदल देती उनका,
ये नबीना असूलों की हवा,
और तब्दील कर देती हैं,
हयात इस पाक इश्क़ की,
बस,
यूँही देखते देखते,
कुछ अधूरे टूटे लफ़्ज़ बाकी रह जाते हैं,
और ओंझल हो जाती है वो हसीन दास्ताँ |
लेकिन झिलमिल आँखों की बूँदों से,
बयाँ कर ही जाती हैं,
वो दर्द-ए-दिल की कसक को भी,
जिसे तख़्ता-ए-स्याही पे कभी ना लिख पाए |

philosophy

ओस

इस कोमल गुलाबी देह पर,

एक निखार सा आ गया,

जब बिखरी इस पर,

ओस की मोती जैसी बूँदें,

हल्की सर्द सुबह में,

और यूँही बरकरार रही,

ये खूबसूरती और ये निखार,

बनाते हुए प्रेम का एक अनूठा दृश्य,

इस सुन्दर प्रकृति में |

ओस : बूँदें : प्रेम

दर्शन, poetry, Soulful, Spiritual

प्रेम की बूँदें

ये जीवन एक नीर सा,

बहता रहता है हर पल,

कभी शाँत, तो कभी उग्र,

कभी असन्तुलित, तो कभी समतल,

कभी शीतल, तो कभी ऊष्ण |

आज,

इस नीर को हथेली में भरकर,

प्रेम का रूप दिया,

और कुछ इस कदर,

मीत पर इसकी बौछार हुई |

कुछ बूँदें समावेश की,

खुद में तुझको विलीन करके,

आलिंगन आत्माओं का हुआ |

बूँदें हर्ष की, उल्लास की,

बतलाती,

प्रेम को महसूस करना ही,

उत्सव है जीवन का |

बरसी बूँदें करुणा की,

शालीन और कोमल एहसास लिए,

दर्शाती मधुरता प्रीत की |

शेष बूँदें संवेदना की,

भेंठ के रूप में,

मीत को अर्पित करते हुए,

समर्पण और त्याग,

जो ज़रूरी है,

प्रेम ही नहीं,

इस नीर के सदा बहते रहने के लिए |

दर्शन : पवित्र : प्रेम