दर्शन, inspiration, philosophy

संगीत

संगीत

क्षण क्षण में संगीत,
कण कण में संगीत,
हर श्वास में संगीत,
हर आभास में संगीत |

सागर के ठहराव में,
नदी के बहाव में,
झरनों की हुंकार में,
वृष्टि की बौछार में,
नीर के हर रूप में,
हर बूँद में है संगीत |

मरुस्थल के अनुर्वर में,
घासस्थल के उर्वर में,
भूमि की हर माटी में,
चट्टानों में,घाटी में,
है संगीत |

बयार की अनवरत गति में,
बवंडर की क्षणिक यति में,
अनिल की हर रफ़्तार में,
है संगीत |

एक लौ के सौहार्द में,
एक ज्वाला के संताप में,
सूर्य में,
इंदु में,
अनन्त के अज्ञात सिरों में,
ब्रह्माण्ड के केंद्र बिन्दु में,
है संगीत |

प्रदीप्ति

दर्शन, inspiration, philosophy, Soulful

ठहराव

Source : Aakash Veer Singh Photography

जीवन ये गतिशील सा,

क्षण क्षण एक बदलाव है,

रफ़्तार की इस होड़ में,

कहीँ खो गया ठहराव है |

हड़बड़ी हर चीज़ की,

बेचैनी हर बात में |

ना निकल जाए ये वक़्त हाथ से,

इसलिए पल पल खोते चले जाते हैं |

ना कोई सुकून है,

ना कोई संतोष है,

बस एक दूसरे से प्रतिस्पर्धा,

सबसे आगे निकलने की होड़ है |

क्या पाने निकले थे,

क्या खोते जा रहे हो,

रफ़्तार की लालसा में,

ठहराव से वंचित होते जा रहे हो |

ज़रा देखो इस नज़ारे को,

सब कुछ ठहरा हुआ,

ये जल,

ये आकाश,

और ये धरा भी |

रुक जाओ कुछ देर यहीं,

प्रतिस्पर्धा और रफ़्तार को भूलकर,

इस लालसा को त्यागर,

महसूस करते जाओ बस,

इस नज़ारे के कण कण को |

मिलते सिरे गगन, नीर, भूमि के,

जहाँ एक रंग दूसरे में विलीन होकर भी,

अपना अस्तित्व नहीं खोता,

आसमान का नीलपन,

इस पर्वत पर चढ़ता है,

पर्वत का प्रतिबिम्ब,

इस जल में झलकता है,

जल का दर्शन,

ये बादल करता है,

ज़मीन का गेरुआ रंग,

इस जल में घुलता है,

जल का कतरा कतरा,

गेरू रंग लेकर भी,

निर्मल लगता है |

ये सब जुड़े हैं,

फिर भी भिन्न हैं,

एक दूजे में मिले हैं,

फिर भी इनकी,

पृथकत्वता बरकरार है |

ज़रा रुको दो पल यहीं,

महसूस करो कुछ देर ही सही,

और देखो इन आसमान, पहाड़,

ताल, और इस ज़मीन को,

एकाग्र मन से,

तो महसूस करोगे,

एक ही भाव,

ठहराव,

ठहराव,

ठहराव |

गति : जीवन : ठहराव