दर्शन, philosophy, poetry

पत्थर

पत्थर में उतकीर्ण कहानियाँ,
और तरशे हुए ये स्तम्भ,
भिन्न भिन्न आकार की ये कड़ियाँ,
जैसे प्रणाली हो जीवन शैली की,
घटित हुई हो जो,
भूत काल में,
ले जाती है हमें,
उस वक़्त में,
और बतलाती है मौन होकर भी,
दास्तान –
सभ्यता की,
संस्कृति की,
धर्म की,
कर्म की,
सत्य की,
मिथ्या की,
विजय की,
पराजय की,
व्यक्ति की,
समाज की,
उत्थान की,
पतन की,
उल्हास की,
ग्लानि की,
काल चक्र के सार की,
जो परिवर्तनशील होकर भी,
दोहराता है वही क्रम,
अलग अलग कहानियों के रूप में |

इतिहास : कहानी : पत्थर

दर्शन, L, philosophy, Soulful, Spiritual

निष्क्रिय

© tulip_brook

जैसे प्रवाह, वृद्धि के अंतर्गत,

विराजमान एक स्थिर रहस्य,

जैसे ध्वनि, कथन के भीतर,

विद्यमान एक गूढ़ मौन,

वैसे ही नश्वर देह के अन्दर,

स्तिथ एक मर्म अमृत |

इस जीवन में -जो प्रत्यक्ष है,

वो पूर्ण सत्य नहीं,

और

जो परोक्ष है,

वो अर्द्ध मिथ्या नहीं |

जीवन : प्रत्यक्ष : परोक्ष