quotes, Soulful

याद

इश्क़ मुश्किल ना था कभी,

हालात थे,

किस्मत भी बड़ी पेचीदा निकली,

इंसान से इंसान की मुलाक़ात तो करा देती है,

जज़्बातों की लौ भी जला देती है,

मगर ना जाने क्यूँ,

एक रोज़

खुदगर्ज़ी की आँधी से सब बुझा जाती है,

वक़्त और तक़दीर के खेल के पासे ही तो हैं सब,

जो दो अनजान इस कदर मिल कर फिर अनजान बन जाते हैं,

हार दोनों की ही होती है इस खेल में,

बस फिर शुरुआत होती है दर्द को बयाँ करने की,

और यूँही मोहब्बत के कई मायूस फ़साने बन जाते हैं,

और दर्द के तड़पते तराने गुनगुनाये जाते हैं,

बस कोई नाम निगार बन जाता है, तो कोई नगमा परवाज़,

दर्द को हसीन बनाना भी एक हुनर है,

बस ये ही मान लेता है दिल,

कि तेरी मोहब्बत तो ना मिला,तेरा दिया दर्द ही सही,

तू सादिक़ ना बन सका,

कोई गिला नहीं,

तू बेईमान ही सही,

किसी नाम से तो तुझे याद रखेंगे,

खुदा से बस ये ही फ़रियाद करेंगे,

कि शुक्रिया,

मोहब्बत ना बक्शी हमें,

बेवफाई की सौगात ही सही |

याद : मोहब्बत : जज़्बात

poetry, Soulful

इश्क़

ये तो वो ही जाने जिन्हें इश्क़ हुआ है,
की फासलों का कुछ अलग ही मज़ा है,
दिन और रात बस यही एक नशा है,
बस ख्यालों में एहसास कर पाना लगती एक मीठी सज़ा है,

दिल की गहराईयों में जो दर्द छुपा है,
ये इश्क़ ही उस मर्ज़ की दवा है,
इंतेज़ार उस मिलन के लम्हे का लम्बा ही सही,
मगर अब किस्मत पे यकीन होने लगा है,

चाहत अगर सच्ची हो तो वो रब भी सुनता है,
दुआओँ और इबादत का शायद येही नतीजा है,
इतनी खुशनुमा कभी ये आँखें ना थी,
किसीकी बेकरारी में इस कदर उलझी ये साँसें ना थी l

दीदार जिस दिन होगा उस दिलनशीं का,
ना जाना कैसे संभालेंगे खुदको,
सिमट जाएंगे खुद में ही शर्म से,
या खुदसे लिपटा हुआ पाएंगे उसको l

इश्क़ : जज़्बात : जीवन

Shayari, Souful

शायराना सी ये शाम

कभी कभी ऐसा महसूस होता है की इबादत और दुआ में कुछ कमी रह गई, जो ये मोहब्बत नसीब ना हुई | फिर लगता है कि शायद मोहब्बत का मुक़ाम हर कोई पा सकता | खैर कोई बात नहीं, मुक़ाम ना सही, सफ़र तो तय कर ही सकते हैँ |

मोहब्बत : मुक़ाम : सफ़र