poetry, Souful

नूर

Source: Aakash Veer Singh photography

 नूर इस महताब का,

ज़र्रा ज़र्रा चमका रहा है,

अक्स इस शबाब का,

कतरा कतरा दमका रहा है,

इशारा इस आदाब का,

 कोई ख़ुशनुमा नज़्म गा रहा है,

नज़ारा इस बदली के हिजाब का,

पत्ते पत्ते को रिझा रहा है,

ऐसा लगता है मानो फ़लक ज़मीन से,

बेपन्हा मोहब्बत फरमा रहा है |

महताब : मोहब्बत : जज़्बात