दर्शन, inspiration, philosophy, poetry

सन्देश

© tulipbrook @Kanhan Maharashtra

बादल के लिफ़ाफ़े में छुपाकर,

आज रोशनी भेजी है,

इस सूने तन्हा आसमान ने |

और डाकिया बनी है,

मदमस्त सी ये फ़िज़ा,

ताकि मीलों के ये फ़ासले,

आसानी से तय हो सके,

मगर शुल्क लगाया इस मौसम ने,

कुछ हिस्सेदारी अपनी भी माँगी,

ले ली कुछ किरणें फिर,

और बाकी वहीं रहने दी |

इस प्यारी सी सौगात की,

अभिग्राही बनी है ये धरा,

जो इस सन्देश को पाकर,

प्रज्वलित हो उठी,

स्वर्णिम सी हया लिए |