दर्शन, inspiration, philosophy

संगीत

संगीत

क्षण क्षण में संगीत,
कण कण में संगीत,
हर श्वास में संगीत,
हर आभास में संगीत |

सागर के ठहराव में,
नदी के बहाव में,
झरनों की हुंकार में,
वृष्टि की बौछार में,
नीर के हर रूप में,
हर बूँद में है संगीत |

मरुस्थल के अनुर्वर में,
घासस्थल के उर्वर में,
भूमि की हर माटी में,
चट्टानों में,घाटी में,
है संगीत |

बयार की अनवरत गति में,
बवंडर की क्षणिक यति में,
अनिल की हर रफ़्तार में,
है संगीत |

एक लौ के सौहार्द में,
एक ज्वाला के संताप में,
सूर्य में,
इंदु में,
अनन्त के अज्ञात सिरों में,
ब्रह्माण्ड के केंद्र बिन्दु में,
है संगीत |

प्रदीप्ति

दर्शन, philosophy

आभास

ये अश्रुधारा कोई आगंतुक नहीं,
निवासी है इस ह्रदय द्वीप की,
इसका आगमन नहीं हुआ कभी,
ये आरम्भ से है विभव लिए,
एक सैलाब के अस्तित्व का,
मगर स्थिर रहती है फिर भी,
प्राण वेग को  उत्प्लाव देती हुई,
ठहराव की सुगम प्रबल स्तिथि से,
रिसाव की विश्रृंखल दुर्बल अवस्था में,
तब ही आती है ये,
जब होता है एक निर्दयी आघात,
इसके धैर्य पर,
इसकी स्तिरथा पर,
इसकी निशब्द आभा पर,
इसकी रहस्यमयी छवि पर,
इसके सम्पूर्ण अस्तित्व पर |
और फिर होता है ऐसा आडम्बर,
एक आवेग पूर्ण दृश्य का मंज़र,
जो पहले सब धुंधला कर जाता है,
और फिर
क्षणिक अनुभूति सा,
ओझल हो जाता है,
किसी गहरे तल पर,
जो अंतर्मन की दृष्टि के,
एक सूक्ष्म स्मृति सा,
उसके ही अंक में,
यूँ समा जाता है,
अस्मिता का अभिन्न अंशलेख बनकर |
कर्म और काल के दायरे में,
इस कदर बद्ध होकर,
भौतिक तृष्णानाओं के व्यूह में,
फिर एक दास्तान बनाने,
फिर आघात से विक्षुब्ध होकर,
फिर रिसाव की प्रक्रिया को,
उन्ही चरणों से ले जाकर,
अवगत कराना उसका स्थान,
अस्मिता में |

प्रदीप्ति

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