philosophy, poetry, Soulful

स्पर्श

उठा लेती हूँ उन्हें भी,
बड़े ही स्नेह से,
जिन्हें खुदके प्रियवर ने त्याग दिया,
मालूम है मुझे ये सच्चाई,
इस स्नेह से ये फिर घर नहीं जा पाएँगे,
मगर कुछ क्षणों का कोमल स्पर्श,
इन्हें सुकून ज़रूर देगा,
नश्वरता को आलिंगन में लेने के लिए,
स्वैच्छा से, मधुरता से,
मिट्टी में विलीन होना भी आवश्यक है,
इस काल चक्र के संचालन के लिए,
फिर उजागर होने के लिए,
किसी और रूप में,
कोई और अस्तित्व लिए,
मगर सिर्फ़  प्रेम से,
जन्म से मरण तक,
फिर जन्म लेने के लिए |

दर्शन, poetry, Soulful

आलिंगन और अश्क़

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जब सागर सा गहरा ये दर्द,

भीतर रहता हो अदृश्य,

घुटता हुआ हर स्वाश में,

रुकता ठहरता मगर फिर भी अस्थिर सा,

बेचैन और सा बहने के लिए,

करता इंतज़ार सदियों तक,

थोड़ा थोड़ा यूँ खिसकता,

जैसे चलना भी गुनाह हो कोई,

इस कदर बढ़ती रहती उसकी कसक,

प्रबल और प्रचण्ड बन जाती,

वक़्त के साथ |

जब मिलता अवसर,

एक लम्बे अंतराल के बाद,

वो बहती नहीं अब,

बस फूट जाती,

किसी तूफ़ान की तरह |

उसे कर पाता नियंत्रित,

सिर्फ़ आलिंगन,

कोमल स्पर्श और सौहार्द भरा,

फिर बह पाता ये दर्द,

अश्कों की धारा में,

उस वक़्त तक,

जहाँ सुकून भर जाए फिर से,

हर स्वाश में |

आलिंगन : अश्क़ : दर्द

Soulful

स्पर्श

दूर इतना है वो,

मगर प्रबल है उसका अस्तित्व,

और

प्रभावशाली है उसकी ऊर्जा,

जो रोज़ छूकर हमें,

प्रज्वलित कर देती है,

कहती है ये लेहलहाती टहनियाँ,

चाहे हम अभिन्न अंग हो किसी ऊँचे वृक्ष का,

या फिर इस धरा पर बिखरे हों यूँही,

ये स्पर्श हमेशा हर्षित कर देता है,

हमारे कण कण को,

जैसे प्रेम हो कोई,

दो जुदा दिलों के बीच,

जो कभी मिल नहीं सकते,

मगर

फिर भी महसूस कर सकते हैं,

बड़ी ही गहराई से,

एक दूजे का स्पर्श,

सिर्फ़ अस्तित्व और ऊर्जा से |

स्पर्श : अस्तित्व : ऊर्जा