दर्शन, philosophy

आभास

ये अश्रुधारा कोई आगंतुक नहीं,
निवासी है इस ह्रदय द्वीप की,
इसका आगमन नहीं हुआ कभी,
ये आरम्भ से है विभव लिए,
एक सैलाब के अस्तित्व का,
मगर स्थिर रहती है फिर भी,
प्राण वेग को  उत्प्लाव देती हुई,
ठहराव की सुगम प्रबल स्तिथि से,
रिसाव की विश्रृंखल दुर्बल अवस्था में,
तब ही आती है ये,
जब होता है एक निर्दयी आघात,
इसके धैर्य पर,
इसकी स्तिरथा पर,
इसकी निशब्द आभा पर,
इसकी रहस्यमयी छवि पर,
इसके सम्पूर्ण अस्तित्व पर |
और फिर होता है ऐसा आडम्बर,
एक आवेग पूर्ण दृश्य का मंज़र,
जो पहले सब धुंधला कर जाता है,
और फिर
क्षणिक अनुभूति सा,
ओझल हो जाता है,
किसी गहरे तल पर,
जो अंतर्मन की दृष्टि के,
एक सूक्ष्म स्मृति सा,
उसके ही अंक में,
यूँ समा जाता है,
अस्मिता का अभिन्न अंशलेख बनकर |
कर्म और काल के दायरे में,
इस कदर बद्ध होकर,
भौतिक तृष्णानाओं के व्यूह में,
फिर एक दास्तान बनाने,
फिर आघात से विक्षुब्ध होकर,
फिर रिसाव की प्रक्रिया को,
उन्ही चरणों से ले जाकर,
अवगत कराना उसका स्थान,
अस्मिता में |

प्रदीप्ति

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दर्शन, philosophy, poetry

पत्थर

पत्थर में उतकीर्ण कहानियाँ,
और तरशे हुए ये स्तम्भ,
भिन्न भिन्न आकार की ये कड़ियाँ,
जैसे प्रणाली हो जीवन शैली की,
घटित हुई हो जो,
भूत काल में,
ले जाती है हमें,
उस वक़्त में,
और बतलाती है मौन होकर भी,
दास्तान –
सभ्यता की,
संस्कृति की,
धर्म की,
कर्म की,
सत्य की,
मिथ्या की,
विजय की,
पराजय की,
व्यक्ति की,
समाज की,
उत्थान की,
पतन की,
उल्हास की,
ग्लानि की,
काल चक्र के सार की,
जो परिवर्तनशील होकर भी,
दोहराता है वही क्रम,
अलग अलग कहानियों के रूप में |

इतिहास : कहानी : पत्थर

दर्शन, inspiration, philosophy, Soulful

रंग

© tulip_brook

रंग ज़िन्दगी के कुछ ऐसे हैं,

कुछ फीके, कुछ गाढ़े,

कुछ उथले, कुछ गहरे,

कुछ निर्मल, कुछ उग्र,

कुछ शान्त, कुछ चँचल,

कुछ खामोश,कुछ गूंजते,

कुछ अधूरे, कुछ पूरे |

हर रंग एक जज़्बात उजागर करता है,

एक एहसास से जुड़ जाता है,

कभी उम्मीद बन जाता है,

कभी सबक बन जाता है,

कभी ख़्वाब बन जाता है,

कभी याद बन जाता है,

कभी चाहत बन जाता है,

कभी नफ़रत बन जाता है |

कोई इसे धर्म से जोड़ देता है,

कोई इसे कर्म से जोड़ देता है,

कोई इसे जंग का जामा पहना देता है,

कोई इसे शान्ति का प्रतीक बना देता है,

कोई इसे विजय के स्तम्भ पर सजाता है,

कोई इसे शिकस्त के खंडर पर बैठाता है,

कोई इसे संकुचित दायरे में बाँध देता है,

कोई इसे असीमता में घोल देता है,

कोई इसे उत्सव के रूप में मनाता है,

कोई इसे शोक में जताता है |

रंग एक कविता भी है,

रंग एक कहानी भी,

रंग एक आवाज़ भी है,

रंग एक मौन भी,

रंग शब्द भी है,

रंग निशब्द भी,

रंग एक तथ्य भी है,

रंग एक रहस्य भी |

रंग : ज़िन्दगी : सोच