दर्शन, inspiration, philosophy, poetry

काल

पुरातन से नूतन तक का ये अस्थिर सफ़र,
कारण और प्रभाव के ये बदलते अभिप्राय,
जीवन के ये विभिन्न दार्शनिक दृष्टिकोण,
व्यक्तिगत और सामजिक विचारधारा के ये द्वन्द्व,
कला और व्यापार की अनुपयुक्त प्रतिस्पर्धा,
सार्थकता और निरर्थकता का ये अनसंतुलित तराज़ू,
परंपरावाद और उदरवाद के बीच के ये बढ़ता घटता फ़ासले,
प्रत्यक्ष और परोक्ष का ये बौद्धिक विवाद |

इस काल चक्र में-
सब परिवर्तनशील है,
और सब स्थिर भी,
जो आज अर्थपूर्ण है,
वो कल निरुपयोगी होगा,
जो कल परम्परा थी,
वो आज स्वच्छन्द है |

सब कुछ यहीं है,
हर क्षण,हर पल,
कभी शूक्ष्म रूप में,
कभी प्रचण्ड आकार में,
कभी संकुचित दायरे में,
कभी असीम तथ्य में |

ये ही सुघड़ता है,
ये ही विशिष्टता है,
इस जीवन की |

सोच : काल : दर्शन

दर्शन, inspiration, philosophy, Soulful

रंग

© tulip_brook

रंग ज़िन्दगी के कुछ ऐसे हैं,

कुछ फीके, कुछ गाढ़े,

कुछ उथले, कुछ गहरे,

कुछ निर्मल, कुछ उग्र,

कुछ शान्त, कुछ चँचल,

कुछ खामोश,कुछ गूंजते,

कुछ अधूरे, कुछ पूरे |

हर रंग एक जज़्बात उजागर करता है,

एक एहसास से जुड़ जाता है,

कभी उम्मीद बन जाता है,

कभी सबक बन जाता है,

कभी ख़्वाब बन जाता है,

कभी याद बन जाता है,

कभी चाहत बन जाता है,

कभी नफ़रत बन जाता है |

कोई इसे धर्म से जोड़ देता है,

कोई इसे कर्म से जोड़ देता है,

कोई इसे जंग का जामा पहना देता है,

कोई इसे शान्ति का प्रतीक बना देता है,

कोई इसे विजय के स्तम्भ पर सजाता है,

कोई इसे शिकस्त के खंडर पर बैठाता है,

कोई इसे संकुचित दायरे में बाँध देता है,

कोई इसे असीमता में घोल देता है,

कोई इसे उत्सव के रूप में मनाता है,

कोई इसे शोक में जताता है |

रंग एक कविता भी है,

रंग एक कहानी भी,

रंग एक आवाज़ भी है,

रंग एक मौन भी,

रंग शब्द भी है,

रंग निशब्द भी,

रंग एक तथ्य भी है,

रंग एक रहस्य भी |

रंग : ज़िन्दगी : सोच