philosophy

कटपुतली

कटपुतली

रंग हैं,
रूप भी,
आभूषण है,
वस्त्र भी,
मगर
बेज़ुबान हैँ,
बेजान भी |
आओ इनमें प्राण भर दें,
अपनी अपनी आवाज़ देदे,
चुन लो किरदार कोई,
हो जाओ तैयार सभी,
आज साजेगा रंगमच,
और होगा एक नाटक,
अभिनय और रास का,
होगा रमणीय खेल,
तारों को बाँधो उँगलियों में,
और जोड़ दो इन पुतलो से,
नचाओ इन्हें फिर,
अपनी ही ताल पर |
देदो इन्हें आवाज़ अपनी,
जो मन चाहे व्यक्त करो,
हर किरदार में छोड़ दो,
अपने अस्तित्व का अंश कहीँ |

रंगमंच : खेल : कटपुतली

दर्शन, inspiration, philosophy

पटिया

©tulip_brook

पटिया पे सजाई बूँदें कुछ रंगों की,

सफ़ेद, पीला, नारंगी, लाल, गेरुआ,

बनाऊँगी इन रंगों से आज,

कोई चित्रा निराला,

भीगी तूलिका से,

भरूँगी इस पृष्ठभूमि को,

हल्के गेरूए रंग से,

खीचूँगी कुछ रेखाएँ सफ़ेद,

बनाऊँगी लौ परत दर परत,

हल्के पीले सरसों मैं जैसे,

मिलता हो यूँ हौले हौले,

उगते भानू का नारंगी रस,

दमकती हो जिससे आभा,

सुलगते उग्र यौवन के,

लाल लहू की,

शीतलता देता इन्हें,

माघ के चाँद की किरणें,

सफ़ेद धारियों वाली |

पटिया : रंग : जीवन

दर्शन, inspiration, philosophy, Soulful

रंग

© tulip_brook

रंग ज़िन्दगी के कुछ ऐसे हैं,

कुछ फीके, कुछ गाढ़े,

कुछ उथले, कुछ गहरे,

कुछ निर्मल, कुछ उग्र,

कुछ शान्त, कुछ चँचल,

कुछ खामोश,कुछ गूंजते,

कुछ अधूरे, कुछ पूरे |

हर रंग एक जज़्बात उजागर करता है,

एक एहसास से जुड़ जाता है,

कभी उम्मीद बन जाता है,

कभी सबक बन जाता है,

कभी ख़्वाब बन जाता है,

कभी याद बन जाता है,

कभी चाहत बन जाता है,

कभी नफ़रत बन जाता है |

कोई इसे धर्म से जोड़ देता है,

कोई इसे कर्म से जोड़ देता है,

कोई इसे जंग का जामा पहना देता है,

कोई इसे शान्ति का प्रतीक बना देता है,

कोई इसे विजय के स्तम्भ पर सजाता है,

कोई इसे शिकस्त के खंडर पर बैठाता है,

कोई इसे संकुचित दायरे में बाँध देता है,

कोई इसे असीमता में घोल देता है,

कोई इसे उत्सव के रूप में मनाता है,

कोई इसे शोक में जताता है |

रंग एक कविता भी है,

रंग एक कहानी भी,

रंग एक आवाज़ भी है,

रंग एक मौन भी,

रंग शब्द भी है,

रंग निशब्द भी,

रंग एक तथ्य भी है,

रंग एक रहस्य भी |

रंग : ज़िन्दगी : सोच

दर्शन, inspiration, philosophy, Soulful

अद्भुत नज़ारा

Source : Aakash Veer Singh Photography

तिरोहित हो रहा है हौले हौले,

शिखर के शीर्ष पर कान्तिमान,

कनक का ये रमणीय आभूषण,

हो रहा है क्षण क्षण परिवर्तित,

इसका रंग, प्रकाश, और आकार |
इसके आलेख का सिरा,

धीरे धीरे छोड़ रहा है,

गगन की कोमल ओढ़नी पर,

पीले नारंगी रंग का मिश्रण,

और

बादलों की विषम आकृति में,

यूँ मृदुलता से घुल रहा है,

वक़्त की धीमी आँच पे,

चाशनी सा मदहोश करने वाला,

एक अद्भुत नज़ारा बनाने |

नज़ारा : प्रकृति : सुकून