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अष्ठसिद्धि- दूसरी सिद्धि- महिमा

सिद्ध होने का तात्पर्य है–स्वयं की सक्षमता को पूर्ण रूप से समझकर उसका उपयोग करना | अष्ठ सिद्धि वर्णित हैँ हमारे पौराणिक शास्त्रों में |इनमें दूसरी सिद्धि है महिमा सिद्धि जिसका अर्थ है स्वयं के अंदर के विस्तार गुण का आभास होना | ये आभास वाणी में हो सकता है या काया में | आभास मात्र से इस सिद्धि की प्रबलता का बोध हो जाता है, और मनुष्य इसका सदुपयोग करना निरंतर प्रयास से ही सीख पाता है |

अष्ठ सिद्धि: दर्शन: महिमा

दर्शन

अष्ठ सिद्धि – पहली सिद्धि -अणिमा

सिद्ध होने का तात्पर्य है – स्वयं की सक्षमता को पूर्ण रूप से समझकर उसका उपयोग करना | अष्ठ सिद्धि वर्णित हैँ हमारे पौराणिक शास्त्रों में |इनमें सबसे प्रथम सिद्धि है अणिमा सिद्धि जिसका अर्थ है स्वयं के अंदर के लघु गुण का आभास होना अनिवार्य है | ये आभास वाणी में हो सकता है या काया में | आभास मात्र से इस सिद्धि की प्रबलता का बोध हो जाता है, और मनुष्य इसका सदुपयोग करना निरंतर प्रयास से ही सीख पाता है |

अष्ठ सिद्धि : दर्शन : अणिमा

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Navratri – नौवी रात – माँ सिद्धिदात्री

आज की काव्यांजलि माँ सिद्धिदात्री को अर्पित |

माँ सिद्धिदात्री

सर्व सिद्धि प्राप्त जिसे, 

सदैव हँसमुख और सौम्य जो, 

श्वेत वस्त्र, कमल पर विराजमान, 

शिव को अर्धनारीश्वर बनाने वाली, 

भक्तों को कार्यरत रहने की, 

अमूल्य सीख सिखाने वाली, 

एकाग्रता और समर्पण से, 

कर्म करने का ज्ञान देने वाली, 

माँ  सिद्धिदात्री को, 

मेरा शत शत नमन |

नवरात्री : सिद्धि : सिद्धिदात्री