The dark thoughts of agony, Seer in the cauldron of hate, And the fuel of greed and pride, Keep its flames rising, Soaring to the upper skies, Crossing layers innumerable, Touching the unfathomable ether, To smudge the ashes of it’s burn, Obscuring the moon and stars, Creating a dark sooty sky, Like a moribund place, Filled with the same loathe, That this heart carried for ages.
काल के ना जाने कौन से क्षण में, ये प्रक्रिया आरम्भ हुई- चिदाकाश के दायरे ओझल होने लगे, रिक्त होने लगा स्मृतियों का पात्र, रिसने लगे उसमें से भावों के रंग, घुलने लगे वो यूँ हौले हौले, महाकाश की अपरिमितता में, किसी अज्ञात विशाल कुंड में | ये ही यात्रा है, आत्मान के ब्रह्मन् से युति की | ये ही यात्रा है, मोक्ष की |
तरु के देह पर, ये अनगिनत व्रण, और छोटी बड़ी गाँठेँ, उजागर करती हैं, एक लम्बी कहानी, अस्तित्व की | हर एक ग्रंथि, बयान करती हैं, इसके संघर्ष की दास्तान | ना जाने कितने मौसम देखे, ना जाने कितने पल जिए, अगर अवलोकन करें, धैर्य के साथ, इसके हर सूक्ष्म भाग का, तो नज़र आएगी स्पष्ट रूप में, हर एक अनुभूति, इसके जराजीर्ण वजूद की |
एक सुर्ख सिंदूरी एहसास लिए है ये रैना, जैसे अतीत की स्थिर स्मृतियाँ, अस्थायी सा जंग लिए हो कोई, और वर्तमान के ये गतिशील जज़्बात, पुलकित भाव उजागर कर रहें हो भीतर |
जैसे जैसे मेरी सतह निस्तेज होती गई, आतंरिक चुभती विषकत्ता को हटाती हुई, वैसे वैसे वो प्रकट करती गई, एक परत कोमल निश्चयात्मकता की | ये भंजन ही वास्तविक उन्मुक्ति है, ‘अहम्’ की, इस प्रतिबंधित जीवन की बेड़ियों से |
ये अवखंडन अब एक आनंदमयी अनुभव होने लगता है, और पुर्ज़ा पुर्ज़ा यूँ बिखरना, स्वीकृति भाव को उत्पन्न करता है, जो ‘अहम्’ को सूत्र के उद्गम में, विलीन होने के लिए, प्रोत्साहित करता रहता है |
मगर कालचक्र का ये प्रभाव, ‘अहम्’ को दोबारा समावेश में लेता है, भौतिकता को अनुभव करने के लिए, पुनः किसी काल में जन्म लेने के लिए, किसी और रूप और नाम के साथ, एक नूतन अस्तित्व में, जो फिर से बाँध देगा, इस जीवन को, एक सीमित अवधि के लिए, भौतिकता के जटिल पंक में |
मगर हर बार ‘अहम्’ पहुँचेगा इस दायरे के सिरे पर, अभिज्ञता के आयाम से दूर होकर, एक अज्ञात मक़ाम में प्रवेश करके, जो इस भौतिक अवधारणा के परे होगा, पुनः वही सुर्ख सिंदूरी एहसास दिलाता हुआ, जैसे इस रात्रि में हुआ है |
When life keeps pricking you deep, Like the desert wind kissed thorns, Each one stinging your conscience, Leaving you scarred and painful, Yet you decide to bloom, Yet you decide to stay fragrant, Yet you decide to showcase your true beauty, That’s Eunoia.